बॉक्सिंग ओलिंपिक में 1920 में शामिल है
खेल जगत में एम्चेयूर और प्रोफेशनल दो तरह की बॉक्सिंग होती हैं. ओलिंपिक (Olympic) में एम्चेयूर बॉक्सिंग (Ametuer Boxing) को 1920 में शामिल किया गया वहीं महिला बॉक्सिंग की शुरुआत 2012 में हुई थी
- News18Hindi
- Last Updated:
August 23, 2020, 11:12 PM IST
मुक्केबाजी के नियम
मुक्केबाज को कमर के नीचे मारने की इजाजत नहीं होती है, यह नियम के खिलाफ है. अगर मुक्केबाज चेतावनी के बाद भी ऐसा करता है तो उसे अयोग्य करार दे दिया जाता है. बॉक्सर को अपने दस्ताने से अपने प्रतिद्वंद्वी के सिर या शरीर पर अटैक करना होता है. एमेच्योर में विजेता का फैसला अंकों के आधार पर किया जाता है. जो मुक्केबाज जितने साफ तरीके से पंच मारता है, उसे ज्यादा अंक मिलते हैं. पुरुषों के बाउट में 3 मिनट के 3 राउंड होते हैं, वहीं महिला वर्ग में 2 मिनट के 4 राउंड होते हैं. इसके अंतर्गत 5 जजों का एक पैनल होता है जो फैसला देता है. यह फैसला 5-0 हो सकता है या बहुमत में (4-1) भी हो सकता है. आपको बता दें कि यह जजों के फैसलों पर 3-2 या ड्रॉ भी हो सकता है.
कैसी होती है बॉक्सिंग रिंगबॉक्सिंग में हर मुक्केबाज को रिंग का एक कोना दिया जाता है. जहां राउंड के बीच में वह आराम करता है. यह कोना कॉर्नर कहलाता है. यहां बॉक्सर के साथ तीन और भी लोग ट्रेनर, असिस्टेंट और कटमेन होते हैं. बॉक्सिंग अलग-अलग वजन वर्गों में होती है. इस खेल में हर प्रतियोगी को प्रतियोगिता के लिए अपना वजन करवाना होता है. पुरुषों के लिए यह 10 अलग वजन वर्गों में और महिलाओं के लिए तीन वजन वर्गों में होती है.
भारत की स्टार हैं एमसी मैरीकॉम
भारत में एमेच्योर मुक्केबाजी को लगातार बढ़ावा मिल रहा है. जब से विजेंदर सिंह (Vijender Singh) ने 2008 में मुक्केबाजी में भारत की तरफ से पहला ओलिंपिक पदक जीता और उसके बाद एमसी मैरी कॉम (MC Mary Kom) ने 2012 में भारत को इस खेल में दूसरा मेडल जिताया. तब से भारतीय फैंस मुक्केबाजों से ज्यादा उम्मीद करने लगे हैं.